Facebook
Instagram
You-Tube
Whatsapp
Telegram

ट्रस्ट नियमावली

ट्रस्ट नियमावली


।। ऊँ श्रीसद्गुरवे नमः ।।

 

महर्षि मेँहीँ ध्यान-ज्ञान सेवा ट्रस्ट
 

 

1. मैं न्यासकर्ता नाम- स्वामी गुरुशरण दास, उम्र- 62 वर्ष, पिता-महर्षि मेंहीं परमहंस निवासी- वार्ड नं0 11 हरिपुरकलाँ, प्रेम विहार चौक देहरादून (उत्तराखंड), पिन नं0 249205 आधार कार्ड नं0-************

अपनी ओर से ****** रुपये न्यास के स्थायी कोष में अर्पित कर एक धर्मार्थ न्यास की स्थापना करते हैं, जिसका नाम ‘महर्षि मेँहीँ ध्यान-ज्ञान सेवा ट्रस्ट होगा। इसका प्रधान कार्यालय हरपुरकलाँ हरिद्वार (उत्तराखंड) में हैं और इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारतवर्ष में होगा। भविष्य में अन्य शाखाएँ देश के किसी भी कोने में खोली जा सकेंगी।

 

 

2. न्यासकर्ता परम पूज्य महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज के शिष्य हैं और उनके द्वारा अनुदेशित सिद्धांतों का पालन करते हुए सत्संग और ध्यान जैसे आध्यात्मिक कार्यों में संलग्न है। मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टियोग और सुरत शब्दयोग का अनुपालन करते हुए आंतरिक उन्नति करना, सदाचार का पालन करना तथा हिंसा करनी तथा जीवों को दुख देना वा मत्स्य मांस को खा़द्य पदार्थ समझना और चोरी करना-इन पंच पापों का निषेध है, का समर्थन न्यासकर्ता करते हैं। उपरोक्त सिद्धांतों को समावेशित करते हुए मानव का भौतिक विकास भी हो सके तथा समाज में नैतिकता, सम्यक शिक्षा, सम्यक आजीविका को प्रोत्साहित किया जा सके, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस न्यास की स्थापना की जा रही है। न्यासकर्ता यह अपेक्षा करते हैं कि सभी न्यासधारी और न्यास की कार्यकारिणी के सदस्य, पारदर्शिता अपनाते हुए उपरोक्त सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए न्यास के उद्देश्यों को पूर्ण करने में अपना योगदान देंगे।

 

 

3. (क) न्यासधारी का गठन: इस न्यास के प्रथम न्यासधारियों का विवरणस निम्न प्रकार है-

(i) स्वामी गुरुशरण दास पिता महर्षि मेंहीं परमहंस

   उम्र 62 आधार कार्ड नं0 ************

   निवासी- वार्ड नं0 11 हरिपुरकलाँ, प्रेम विहार चौक देहरादून

(ii) स्वामी नंदन दास पिता श्री ज्ञानी मण्डल

   उम्र 52 आधार कार्ड नं0 ************

   निवासी-महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर

(iii) श्री पंकज दास पिता श्री गेना प्रसाद भारती

   उम्र 40 वर्ष आधार कार्ड नं0 ************

   निवासी-महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर

(ख) उपरोक्त सभी न्यासधारी आजीवन इस न्यास के न्यासधारी बने रहेंगे। उनका कार्यकाल अवैतनिक होगा। किसी न्यासधारी के देहावसान होने, त्यागपत्र देने या पद से हटाये जाने की स्थिति में या नये व्यक्ति को न्यासधारी बनाने हेतु किसी नये व्यक्ति को जिसको न्यास की कार्यकारिणी के बहुमत द्वारा अनुशंसित किया गया हो, को अन्य सभी न्यासधारियों की सर्वसम्मति से नियुक्त किया जा सकेगा।

(ग) अनिवार्य योग्यता: न्यासधारी हेतु चुने जाने के लिए निम्नलिखित योग्यता का होना आवश्यक है-

(i) उम्र 35 वर्ष से ज्यादा हो।

(ii) उम्मीदवार अनुच्छेद 2 में वर्णित सिद्धांतों का अनुपालन करते हैं।

(iii) उम्मीदवार किसी गंभीर आपराधिक मामलों में दोषी न साबित हुआ हो और न ही गंभीर आपराधिक मामला लंबित हो। कोई केश गंभीर या नहीं, इसका निर्णय बाकी न्यासधारियों के द्वारा सर्वसम्मति से किया जाएगा।

(घ) किसी भी न्यासधारी को पदस्थापित होने के बाद उसे पदच्युत किसी भी स्थिति में नहीं किया जा सकेगा, बशर्ते कि-

(i) न्यासधारी गंभीर बीमारी से ग्रस्त न हो और कार्य करने में तीन साल या उसे ज्यादा की अवधि तक असक्षम न रहा हो।

(ii) न्यासधारी वित्तीय अनियमितता का दोषी साबित न हुआ हो।

(ड) किसी न्यासधारी पर वित्तीय अनियमितता की कार्यवाही तभी प्रारंभ की जा सकेगी, जब साक्ष्य न्यास के सामने प्रस्तुत हो, अन्य सभी न्यासधारी बहुमत से इस आशय का निर्णय लें। कार्यवाही प्रारंभ होने की स्थिति में न्यास की स्थायी न्यायिक बोर्ड दोनों पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहेगी और कार्यवाही न्याय के मूलभूत नैसर्गिक सिद्धांतों का अनुपालन करते हुए अपना निर्णय देगी। उस निर्णय को न्यास की आमसभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे बहुमत से पास किया जाना आवश्यक होगा।

(च) किसी नये सदस्य के न्यासधारी बनने की सूरत में उसको सदाचार का पालन करने तथा न्यास के सिद्धांतों का अनुपालन करने हेतु शपथ सबसे वरिष्ठ न्यासधारी के द्वारा गुरु महाराज महर्षि मेँहीँ परमहंस की शपथ दिलाकर किया जाएगा।

 

 

4. न्यास का उद्देश्य-न्यास की कार्याविधि निम्नलिखित उद्देश्यों को पूर्ण करने हेतु होगी

 (i) मानव कल्याण हेतु संतमत सत्संग का प्रचार-प्रसार करना तथा समाज को नैतिकता, अहिंसा तथा सदाचार का पालन करने हेतु प्रोत्साहित करना तथा इन सिद्धांतों का पालन करनेवाली पंथ, मत या सम्प्रदाय या व्यक्ति विशेष को वित्तीय और वैचारिक सहारा देना। ध्यान शिविर, सत्संग शिविर, कथा का आयोजन करना तथा ऐसे शिविरों में सम्मिलित व्यक्तियों हेतु भोजन तथा औषधि का बंदोबस्त करना, गौशाला का संचालन एवं साधु-महात्माओं हेतु अन्नक्षेत्र चलाना।

 (ii) जरूरतमंद साधु-संत, महात्मा, संन्यासी के लिए चिकित्सकीय खर्च हेतु अनुदान देना।

 (iii) वृद्ध, दुर्बल, अपंग, अनाथ, अपाहिज, बीमार, मानवों की सहायता हेतु योजना बनाकर उसे कार्यान्वित करना। प्राकृतिक आपदा से पीड़ित व्यक्तियों की मदद करना और वृद्धाश्रम, अनाथालय, धर्मशाला, योगाश्रम, सत्संग आश्रम जैसी संस्थाओं का निर्माण करना तथा उसको पारदर्शी तरीके से संचालन करना।

 (iv) भारतीय संस्कृति तथा संतमत के मूल सिद्धांतों को समावेशित करनेवाली शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना करना और इस हेतु विद्यालय, महाविद्यालय, आई.आई.टी. कॉलेज, पारा मेडिकल कॉलेज, छात्रावास, वाचनालय की स्थापना करना और इसको संचालित करना।

 (v) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, होमियोपैथिक, आयुर्वेदिक, नैचुरोपैथी ऐकुपेसर, चिकित्सालय, ब्लडबैंक जैसी संस्थाओं का निर्माण तथा संचालन करना।

 

 

5. वित्तीय व्यवस्था -

(क) न्यासकर्ता के द्वारा प्रदत्त कोष के अलावा न्यास अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु निम्न माध्यम से वित्तीय उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।

(i) सदस्यों से प्राप्त आजीवन शुल्क

(iii) किसी व्यक्ति विशेष, संस्था या सरकारी संस्थाओं द्वारा प्राप्त अनुदान राशि या उपहार।

(iii) अन्य शुल्क

(ख) न्यास का वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च होगा तथा विधि के नियमानुसार उसका अंकेक्षण कराया जाएगा।

(ग) अनुदान की राशि अनुच्छेद 4 में वर्णित 5 मदों में से जिस मद के लिए दी गई हो, उसी मद में खर्च की जाए।

(घ) न्यास की राशि बैंकों में जमा की जाएगी तथा अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष में से किसी दो के चेक में हस्ताक्षर के माध्यम से निर्गत की जाएगी।

 

 

6. न्यास के सदस्य-न्यास के श्रेणीबद्ध सदस्य निम्न प्रकार से होंगे :-

(क) परिरक्षक सदस्य ऐसे व्यक्ति एवं संस्था जो न्यास को रूपया 1,00,000/- अथवा अधिक का दान दे।

(ख) संरक्षक सदस्य ऐसे व्यक्ति एवं संस्था जो न्यास को रूपया 50,000/से अधिक 1,00,000 तक दान दे।

(ग) संजीवक सदस्य ऐसे व्यक्ति एवं संस्था जो न्यास को रुपया 25,000/- से अधिक 50,000/- तक दान दे।

(घ) संयोजक सदस्य ऐसे व्यक्ति अथवा संस्था जो न्यास को रुपया 10,000/- से अधिक 25,000/- तक दान दे।

(ड) पित्तर सदस्य उनकी प्रतिनिधि संतानों के द्वारा न्यास को रुपया 25000/एकमुश्त दान दें।

(च) साधारण सदस्य ऐसे व्यक्ति एवं संस्था जो न्यास को रूपया 1000/- अधिक 10,000/- तक दान दे।

 (i) कोई संस्था अपना अविभाजित हिन्दू परिवार अगर उपरोक्त सदस्यता लेते हैं तो उसको अपना प्रतिनिधि रखने तथा उसमें परिवर्तन करने का अधिकार होगा।

 (ii) पितर सदस्य की श्रेणी में दान पितर के नाम से स्वीकार किये जायेंगे और प्रतिनिधि के रूप में उनकी संतानों में से किसी एक का नाम होगा। पितर सदस्य एकमुश्त 25000 या 5000 रु0 के रूप में 5 वर्षों तक दे सकते हैं।

 (iii) इन सदस्यों की सदस्यता आजीवन होगी और देहावसान के उपरांत ही इनकी सदस्यता निरस्त समझी जाएगी।

 (iv) किसी की सदस्यता निरस्त तभी की जाएगी, जबकि वह न्यास के हितों के विरुद्ध काम करे।

 (v) न्यास के सभी सदस्य मिलकर न्यास की आमसभा कहलाएगी।

 (vi) उपरोक्त न्यासधारी तथा क, ख, ग और घ, ड और च श्रेणियों के सदस्य आजीवन सदस्य होंगे एवं एकनिष्ठ होकर तन-मन-धन से न्यास के उत्थान के लिए कार्य करेंगे।

 

 

7. न्यास सत्संग आश्रम की मर्यादा-

(क) न्यास सत्संग आश्रम का द्वार सभी मानव मात्रा के लिए खुला रहेगा, चाहे वह किसी भी र्ध्म, समाज, सम्प्रदाय के अनुयायी हों या किसी भी जाति के हों।

(ख) भिन्न-भिन्न धर्मावलंबी जिस प्रकार अपने मंदिर, धर्मस्थानों को सुरक्षित रखते हैं, उसी प्रकार न्यास सत्संग आश्रम की मर्यादा को सुरक्षित रखना है।

(ग) न्यास सत्संग आश्रम की पवित्रता बनाए रखने के लिए सत्संग भवन एवं आश्रम परिसर के अंतर्गत किसी प्रकार की नशीली चीज का सेवन, मांस-मछली, अंडा, मदिरा, शराब, बीड़ी-सिगरेट, खैनी आदि का सेवन एवं झूठ, चोरी, नशा, हिंसा, व्यभिचार सर्वथा वर्जित रहेगा।

(घ) न्यास सत्संग आश्रम में प्रतिदिन नितप्रति सत्संग प्रार्थना, उपासना, ध्यानाभ्यास, त्रिकाल संध्या, सद्ग्रंथों का पाठ तथा सत्संग-प्रवचन होंगे।

(ड) न्यास सत्संग आश्रम में निवास करने पर न्यासकर्ता, न्यासधारी, न्यास कार्यकारिणी, न्यास आमसभा सदस्य एवं आम नागरिक, न्यास सत्संग-ध्यान में शामिल होना अनिवार्य होगा व अस्वस्थ व्यक्ति के लिए नियम लागू नहीं होगा।

 

 

8. न्यास का प्रबन्ध-

(क) न्यास का प्रबन्ध एक कार्यकारिणी करेगी, जिसके सदस्य सभी 3 न्यासधारी तथा सभी श्रेणी के सदस्यों में से चुनकर आये 5-5 सदस्य होंगे। इस प्रकार कार्यकारिणी में 33 सदस्य होंगे।

(ख) न्यासधारी कार्यकारिणी के आजीवन सदस्य होंगे।

(ग) चुनकर आये सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष होगा तथा सदस्यों के उम्मीदवारों की योग्यता वही होनी चाहिए जो अनुच्छेद 3 (ग) में वर्णित चुने जानेवाले न्यासधारी की है। न्यासधारी की विशेष अनुमति लेकर 25 वर्ष और 35 वर्ष के बीच के युवा भी उम्मीदवार हो सकते हैं।

(घ) न्यास का प्रबन्ध तेतीस निर्वाचित सदस्यों की कार्यकारिणी करेगी। ऐसे निर्वाचित सदस्य निम्न प्रकार होंगे-

प्रथम न्यासधारी 3

परिरक्षक सदस्यों में से 5

संरक्षक सदस्यों में से 5

संजीवक सदस्यों में से 5

संयोजन सदस्यों में से 5

पित्तर सदस्यों में से 5

साधारण सदस्यों में से 5

(ङ) प्रथम न्यासधारी के अलावा बाकी सदस्यों का चुनाव तीन वर्षों के लिए आमसभा अपने बहुमत से करेगी।

(च) कार्यकारिणी के सदस्य अपने में से निम्नलिखित पदाधिकारी नामांकित अथवा चुनाव द्वारा तीन वर्षों के लिए नियुक्त करेंगे।

 (1) संरक्षक

 (2) अध्यक्ष

 (3) उपाध्यक्ष

 (4) कोषाध्यक्ष

 (5) सचिव

 (6) सहसचिव

 (छ) न्यास के प्रथम पदाधिकारी न्यासधारी निम्न प्रकार से होंगे।

 (1) स्वामी गुरुशरण दास, अध्यक्ष

 (2) श्री पंकज दास, सचिव

 (3) स्वामी नंदन दास, कोषाध्यक्ष

उपरोक्त सभी न्यास के प्रथम पदाधिकारी न्यासधारी के प्रथम पाँच वर्षों तक कार्य करेंगे अथवा न्यास कार्यकारिणी गठन होने तक न्यास के प्रथम पदाधिकारी-न्यासधारी कार्य करते रहेंगे।

(ज) उपरोक्त पदाधिकारियों में से किसी के स्वर्गवास पर अथवा कार्य करने में अक्षम होने पर अथवा त्यागपत्र देने पर अथवा दिवालिया होने पर अथवा किसी कारण से निष्कासित किए जाने पर कार्यकारिणी को अधिकार होगा कि अपने में से किसी को शेष अवधि के लिए पदस्थापित करे।

(झ) न्यास की सारी सम्पत्ति कार्यकारिणी के अधीन होगी तथा किसी अचल सम्पत्ति को खरीदने तथा बेचने के लिए कार्यकारिणी का बहुमत तथा न्यासधारी की सर्वसम्मति आवश्यक होगी।

(ञ) कार्यकारिणी के दो तिहाई बहुमत से तथा न्यासधारी के सर्वसम्मति से न्यास की इस संहिता में संशोधन किया जा सकेगा।

(ट) कार्यकारिणी के सभी सदस्य तथा पदाधिकारी (कार्यालय कर्मी को छोड़कर) अवैतनिक होंगे।

(ठ) कार्यकारिणी की बैठक साल में 3 बार कम से कम होगी।

(ड) किसी भी उद्देश्य के कार्यान्वयन हेतु उसकी कार्यविधि कार्यकारिणी के बहुमत से अनुमोदित की जाएगी।

 

9. संरक्षक के कर्त्तव्य एवं अधिकार-

(क) न्यास से सहानुभूति रखनेवाले महानुभाव को न्यास कार्यकारिणी समिति ही संरक्षक मनोनीत कर सकती है। न्यास के सभी कार्यों की निगरानी करना एवं सलाह देना।

 

 

10. अध्यक्ष के कर्त्तव्य एवं अधिकार-

(क) कार्यकारिणी एवं सदस्यों की आमसभा की अध्यक्षता करना एवं संचालन करना।

(ख) मताधिकार के प्रयोग में पक्ष-विपक्ष के मतों की संख्या समान हो तो अपना विशेष मत देना।

(ग) न्यास की सम्पत्ति पर अधिकृत रह कर उसकी देखरेख करना न्यास के उद्धेश्यो की पूर्ति के लिए न्यास की सम्पत्ति का उपयोग करना अथवा कराना।

(घ) न्यास की सम्पत्ति, लेना, प्राप्तियाँ एवं भुगतान के सम्बन्ध में आवश्यक निर्णय लेना जो न्यास के हित मे हो और तत्सम्बन्धी कागजातों पर दस्तखत करना, आवश्यक बैंको में खाते खोलना, चैकों तथा अन्य बैंक के कागजांे को अपने दस्तख्तांे से संचालित करना, सम्पत्ति को खरीदना एव दान लेना तथा अन्य वे सभी कार्य करना जो कि न्यास के उचित प्रबन्ध के लिए आवश्यक हो।

(ड) न्यास की कार्यकारिणी की सभा एवं सदस्यांे की आमसभा बुलाना अथवा सचिव को ऐसी सभायें बुलायें बुलाने के लिए अधिकृत करना।

 

 

11. उपाध्यक्ष के अधिकार एवं कर्त्तव्य उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वे सभी कार्य करेंगे जो कि अध्यक्ष कर सकते है। तथा न्यास संगठन मजबूत करना, राज्य स्तर, प्रमंडल, जिला, प्रखंड, ग्राम पंचायत और न्याय संगठन बढ़ाना और प्रचार-प्रसार एवं धर्म कोष के संग्रह की व्यवस्था करना।

 

 

12. सचिव के अधिकार एवं कर्त्तव्य-

(क) अध्यक्ष की राय से उनके द्वारा सौंपे गए सभी कार्य करना जो न्यास के हित में हों।

(ख) अध्यक्ष अनुमति से कार्यकारिणी की सभा एवं आम सभा बुलाना एवं उनका संचालन करना।

(ग) कार्यकारिणी एवं आमसभा की कार्यवाही को ततसम्बन्धी पुस्तिकाआंे में लिखना।

(घ) न्यास का हिसाब-किताब खर्च आमदनी का हिसाब रखना रखवाना,उनकी देखरेख, वर्ष की समाप्ति पर वार्षिक आर्थिक प्रतिवेदन तैयार करना अथवा करवाना, हिसाब का अंकेक्षण कराना, अध्यक्ष की अनुमति एवं अनुमोदन से कार्यकारिणी की सभा एवं सदस्यांे की आम सभा में प्रस्तुत करना एवं अनुमोदन कराना।

(ड) न्यास में आवश्यक सेवादार एवं कर्मचारियों की नियुक्ति करना, अध्यक्ष के आदेशानुसार उनका वेतन निश्चित करना, उनको कार्य आवंटित करना, उनके काम की देखरेख करना, आवश्यकता पड़ने पर उनको हटाना, तत्सम्बन्धी विवादों का निपटारा करना आदि।

(च) न्यास द्वारा अपने उद्देश्यों की पूर्ति में किए आकस्मिक खर्च 5000 तक का एवं न्यास के सामान्य खर्चों की स्वीकृति देना।

(छ) न्यास के कार्य के सम्बन्ध में सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों अथवा व्यक्तियों से न्यास के हित में सम्पर्क करना तथा तत्सम्बन्धी सामान्य कागजातों को अपने हस्ताक्षरों से जारी करना।

(ज) धर्मकोष संग्रह करने की व्यवस्था करना एवं अन्य वे सभी कार्य करना जो न्यास के प्रबन्ध में आवश्यक हो।

 

 

13. सहसचिव के अधिकार एवं कर्त्तव्य-

सहसचिव को सचिव की अनुपस्थिति में सचिव के सभी अधिकार एवं कर्त्तव्य प्राप्त होंगे तथा न्यास संगठन मजबूत करना, राज्य स्तर, प्रमंडल, जिला, प्रखंड, ग्राम पंचायत और न्याय संगठन बढ़ाना और प्रचार-प्रसार एवं धर्म कोष के संग्रह की व्यवस्था करना।

 

 

14. कोषाध्यक्ष के अधिकार एवं कर्त्तव्य-

(क) न्यास के आय-व्यय एवं सम्पत्ति, लेनदारियों एवं देनदारियों का हिसाब रखना।

(ख) आय सम्बन्धी रसीदें सचिव एवं अपने हस्ताक्षरों से जारी करना।

(ग) न्यास की देनदारियों का भुगतान अध्यक्ष अथवा सचिव की अनुमति से करना एवं रसीदें प्राप्त करना।

(घ) न्यास के धन में से 5000/- कोष में रख कर बाकी को न्यास के बैंक खाते में जमा कराना।

(ड) न्यास के वार्षिक हिसाब किताब तैयार कर उन्हे सचिव को अंकेक्षण के लिए पेश करना।

(च) अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के कार्य की देखरेख करना।

(छ) कोषाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं रहने पर सचिव ही कोषाध्यक्ष का काम करेंगे।

 

 

15. (क) न्यास के बैंक खाते न्यास अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए एक या अधिक बैंकों में बचत खाता अथवा स्थायी खाते खोल सकेगा। ऐसे बैंक खातों का संचालन न्यास के कोषाध्यक्ष तथा अध्यक्ष एवं सचिव के हस्ताक्षरों से संचालन हो सकेगा। बैंक-संचालन के लिए दो व्यक्तियों के चेक पर हस्ताक्षर के माध्यम से निर्गत की जाएगी।

(ख) हिसाबों का अंकेक्षण न्यास के वार्षिक हिसाब-किताब का किसी चार्टेड अकाउन्टेन्ट द्वारा अंकेक्षण कराना होगा। एसे अंकेक्षण की नियुिक्त न्यास की वार्षिक आम सभा द्वारा की जायेगी। आवश्यकता होने पर कार्यकारिणी भी आमसभा की वार्षिक सभा तक के लिए अंकेक्षण की नियुक्ति कर सकती है।

 

 

16. आमसभा-

(क) न्यास के सदस्यों की वर्ष में कम से कम एक बार आम सभा होगा।

(ख) ऐसी सभा के लिए सभा के निश्चित दिन के पहले कम से कम 15 दिन की सूचना देना जरूरी होगा।

(ग) सभा का कोरम सदस्यों की संख्या का एक तिहाई का होगा।

(घ) कोरम के अभाव में यदि आम सभा स्थगित होती है तो वह उसी दिन दो घण्टे पश्चात्। पुनः होगी और उसमें कोरम का अभाव बाधक नहीं समझा जायेगा और ऐसी सभा के निर्णय भी सर्वमान्य होंगे। चुनाव की सूचना, मतदाता सूची आदि चुनाव की तिथि के 30 दिन पहले सदस्यों को भेजी जायेगी।

 

 

17. चुनाव प्रक्रिया-

 (i) कार्यकारिणी के सदस्यों (न्यासधारी को छोड़कर) का चुनाव आमसभा में किया जाएगा। इसके लिए श्रेणीवार सदस्यों का मत लिया जाएगा।

 (ii) चुनाव प्रक्रिया की विस्तृति विधि निर्माण हेतु न्यासधारियों को ही अधिकृत किया जाता है।

 

 

18. न्यायिक बोर्ड-

(क) न्यासधारियों के मोदन से ऐसे तीन व्यक्तियों को न्यायिक बोर्ड की सदस्यता दी जाएगी जो कि पारदर्शी तरीके से निष्पक्ष होकर निर्णय कर सके।

(ख) कार्यकारिणी के किसी भी सदस्य के उपर वित्तीय अनियमितता का आरोप का निर्णय न्यायिक बोर्ड करेगी।

(ग) न्यायिक बोर्ड अपनी कार्य प्रणाली खुद ही निर्धारित कर सकेगी।

(घ) न्यायिक बोर्ड का कार्यकाल 5 वर्षों के लिए होगा।

 

 

19. न्यास की स्थापना-

(क) न्यास की स्थापना इसको पंजीकृत कराने, प्रारम्भिक बैंक खाता खोलने, आयकर अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत कराने एवं दान सम्बन्धी प्रमाण पत्र प्राप्त करने अथवा अन्य प्रारम्भिक कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए प्रारम्भिक न्यासधारी को एतद् द्वारा अधिकृत किया जाता है।

 

 

20 विशेषाधिकार -

  न्यासधारी को यह अधिकार रहेगा कि महर्षि मेँहीँ ध्यान-ज्ञान सेवा ट्रस्ट के न्यास कार्यकारिणी सदस्य एवं पदाधिकारी का विघटन किसी भी समय कर सकते हैं। न्यास में किसी तरह का विवाद होने पर न्यासधारी का निर्णय सर्वोपरि और सर्वमान्य होगा। नई कार्यकारिणी समिति गठन होने तक अंतरिम न्यास समिति मनोनीत कर सकते हैं। नई न्यास कार्यकारिणी समिति 6 माह के अंदर गठित की जाएगी।

Copyright © 2021 MAHARSHI MEHI DHYAN GYAN SEVA TRUST | Website Developed & Managed by SANJAY KRISHNA